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Poems | Shikhar Goel


Painting by Chintu Das

1. मेरे जैसों के नाम

मार्क्स, देर्रिदा, कान्ट, बोलो,
चोमस्की, हार्वी, सेन, और फूको
बोलो तुम ये सारे नाम,
नाक पर चश्मा सेट करो तो
एक सिगरेट सुलगाओ जल्दी
देखो, अब तुम ज्ञानी हो!

छापो पेपर, किताब लिखो अब
भरी भरकम शब्दों वाली
अंग्रेज़ी भी फर्राटे से बोलो
ग़ालिब के कुछ शेर भी घोलो
देखो, अब तुम ज्ञानी हो!

नाइकी के जूते पहन कर
बुर्जुआ, बुर्जुआ जाप करो तुम
फैब इंडिया के कुर्ते में
अब क्रांति-क्रांति पाठ करो तुम
दारू के संग, चखने में
नेरुदा ओर फैज़ चबालो!
देखो अब तुम ज्ञानी हो.

देखो अब तुम ज्ञानी हो,
देखो अब तुम ज्ञानी हो,
देखो अब तुम ज्ञानी हो!
क्या सच में?



2.  आमन्त्रण पत्र

कटुवे, पाकिस्तानी,
चूड़े-चमार, भंगी
रंडी, रखैल
अबे ओये छक्के!


मैं कोशिश करूँगा,आप सभों के लिए
कविता में बचा सकूँ,
थोड़ी सी ज़मीन,
मुट्ठी भर आकाश
और ढेर सी आज़ादी.
आपका, मेरी नज़्मों में, स्वागत है!

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